
कल मैदान पर हुई अप्रिय घटना ने दिल को झकझोर दिया। सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि वो कौन-सा दौर था जब दिल्ली की क्रिकेट सिर्फ़ बल्ले और गेंद की टकराहट तक सीमित नहीं थी, बल्कि भाईचारे और खेलभावना की मिसाल थी।
मैदानों की धड़कन : दिल्ली क्रिकेट का दिल
अगर आप 1980 या उससे पहले का दिल्ली क्रिकेट याद करेंगे, तो सबसे पहले आँखों के सामने कुछ मैदान तैरेंगे— फिरोज़ शाह कोटला (जो अब स्वर्गीय अरुण जेटली जी के नाम से जाना जाता है), उत्तर कैंपस का Delhi University Ground, हिंदू कॉलेज ग्राउंड, सेंट स्टीफ़ेंस ग्राउंड (मोरी गेट), मॉडर्न स्कूल (बाराखंबा रोड), रोशनारा क्लब, कर्नैल सिंह स्टेडियम, एयर फ़ोर्स ग्राउंड (पालम) और MCD मैदान (कोरिया पुल, पुराना दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास)। ये मैदान महज़ घास का टुकड़ा नहीं थे, बल्कि दिल्ली क्रिकेट की धड़कन और आत्मा थे। उस दौर में केवल Turf पिच ही नहीं, बल्कि असंख्य मैटिंग पिच वाले मैदान भी दिल्ली क्रिकेट का अहम हिस्सा थे।
संस्थाएँ : पेशेवर पहचान देने वाले स्तंभ
दिल्ली क्रिकेट को पेशेवर पहचान देने वाली संस्थाएँ खिलाड़ी को रोज़गार और मंच दोनों प्रदान करती थीं। इनमें शामिल हैं—
Airlines, Mohan Meakins (Mohan Nagar), Air India, ONGC, Steel Authority of India, FCI, SBI, Indian Railways, DDA, Bank of Baroda, Dena Bank, DS Group, College Groups, Central Warehousing Corporation (CWC), Bank of India, EPFO, MTNL, Delhi Telecom।
इन संस्थाओं ने खिलाड़ियों को वित्तीय स्थिरता और खेल को गंभीरता से अपनाने का अवसर दिया, जिससे दिल्ली क्रिकेट की गुणवत्ता हमेशा उच्च स्तर की बनी रही।
क्लब : प्रतिभा और अनुशासन की नर्सरी
दिल्ली क्रिकेट का असली जादू उसके क्लबों में था—
Sonnet Club (स्व. तारक सिन्हा), Subhania Club (स्व. राधेश्याम), NIS (गुच्ची पाजी), Madras Club (स्व. सतीश शर्मा), Chand Khanna Club (डॉ. सी.के. खन्ना), Bright Club (स्व. N.C. Bakshi), Rohtak Road Gymkhana (सरवन कुमार), Delhi Gymkhana (स्व. दिलबाग सिंह), Maviya Club (रवि वासवानी), Pelicans Club (मणि सर), Young Friends Club (आर.पी. शर्मा), Little Master Club (Bhatnagar Sir), Darling Club (स्व. कमल माथुर, अब अनिल चौधरी, पूर्व ICC Umpire), L.B. Shastri Club (Sanjay Bhardwaj) Pusa Youngsters (Padam Singh Chauhan) और बहुत सारे क्लब।
ये क्लब न केवल तकनीकी कौशल सिखाते थे, बल्कि अनुशासन, भाईचारा और खेलभावना का पाठ भी पढ़ाते थे।
टूर्नामेंट : क्रिकेट का त्यौहार
दिल्ली के टूर्नामेंट किसी मेले से कम नहीं थे—
DDCA Hot Weather Tournament, DDCA League, गोस्वामी गणेश दत्त मैदान, लाला रघुवीर सिंह मॉडर्न स्कूल,GD Birla Trophy, Escorts Trophy, Shiv Kumar Tournament (Pusa Ground), Om Nath Sood Tournament, Laxman Dass Tournament, Trishul Trophy (Air Force Ground, Palam)। MCD मैदान ने दिल्ली क्रिकेट को पहचान दी। यहाँ आयोजित होते थे कई प्रतिष्ठित टूर्नामेंट्स, जिनमें शामिल हैं— राम चरण अग्रवाल टूर्नामेंट, पंडित ओमप्रकाश शर्मा टूर्नामेंट, लाला हरिराम अग्रवाल टूर्नामेंट। ये टूर्नामेंट नई प्रतिभाओं को मंच देने और क्रिकेट की संस्कृति बनाए रखने का महत्वपूर्ण माध्यम थे।
कपिल देव ने कहा था—
“इंग्लैंड की काउंटी से बेहतर है दिल्ली के Hot Weather Tournament खेलना।”
BCCI के दो भूतपूर्व अध्यक्ष अपने शुरुआती दिनों में दिल्ली में खेलते हुए देखे गए।
— रॉजर बिन्नी (SBI से) और सौरव गांगुली (CAB से) बंगाल लीग में दिल्ली के खिलाड़ी हमेशा पहली पसंद बने।
यादगार किस्से
राजिंदर सिंह दारा (Mohan Meakins) और Late Kamal Talwar (Airlines) ने भारतीय टीम के कप्तान कपिल देव को शानदार छक्के लगाए। CWC के हरि दत्त शर्मा ने एक सीज़न में कई बार कपिल देव को आउट किया। फिर भी मैदान पर कभी झगड़ा या बहस नहीं हुई। प्रतिस्पर्धा थी, लेकिन सम्मान और खेलभावना और भी मजबूत थी। यही दिल्ली क्रिकेट की असली पहचान थी। लेकिन कल की घटना ने सबको चौंका दिया। खेल के मैदान पर जो हुआ, उससे क्रिकेट का सम्मान थोड़ी देर के लिए धब्बेदार हुआ। यह एक चेतावनी थी कि केवल प्रदर्शन और ट्रॉफी जीतना पर्याप्त नहीं—खेल भावना और अनुशासन भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
दिल्ली क्रिकेट हमें यही सिखाती है—
👉 “Character और Spirit of the Game से बड़ी कोई Trophy नहीं।”
आज ज़रूरत है उस जुनून, भाईचारे और खेलभावना को पुनः जीवित करने की, जो कभी दिल्ली क्रिकेट की पहचान हुआ करती थी। वो दौर कहता है—कम मैच, पर Quality Cricket, खेल की पवित्रता और Character। यही था दिल्ली क्रिकेट का असली स्वर्णिम समय।