by Manoj Dutt
एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला केवल एक क्रिकेट मैच नहीं था। यह मुकाबला एक राष्ट्रीय गौरव, सामाजिक संवेदनशीलता और राजनीतिक तनाव का प्रतीक बनकर उभरा। भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हैंडशेक न करने का निर्णय एक साहसिक रुख था, जिसमें खेल की परंपरा से ऊपर देशभक्ति, राष्ट्रीय सम्मान और संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी गई।
राष्ट्रभक्ति बनाम परंपरा
क्रिकेट की परंपरा वर्षों से खिलाड़ियों के बीच सम्मान और खेल भावना का आदान-प्रदान करती आई है। मैच के बाद हैंडशेक की प्रथा ‘Spirit of Cricket’ का अभिन्न हिस्सा मानी जाती है।
International Cricket Council (ICC) के Spirit of Cricket Code में साफ लिखा है कि खिलाड़ियों का एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
फिर भी, BCCI ने साफ किया है कि हैंडशेक को अनिवार्य नहीं माना जाता।
परंतु एशिया कप 2025 में विशेष परिस्थिति उत्पन्न हुई, जब पाकिस्तान के खिलाड़ी और समर्थक सोशल मीडिया पर लगातार भारतीय सेना के खिलाफ निंदनीय पोस्ट करते रहे।
उदाहरण और तथ्य: 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान समर्थक और कुछ क्रिकेटर भारतीय सेना के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियाँ करते रहे। खासकर सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर भी कई पाकिस्तानी क्रिकेटर और अधिकारी ने विवादास्पद बयान दिए। एक उदाहरण के तौर पर, पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहीन शाह अफरीदी ने पहले विवादित ट्वीट पोस्ट किया था, जिसे भारत ने देश की अस्मिता पर हमला माना। इस पूरे परिप्रेक्ष्य में भारतीय टीम ने साफ कर दिया कि वे राष्ट्रीय सम्मान और देशभक्ति को किसी खेल परंपरा से ऊपर मानती है।
राजनीति का खेल पर कब्जा
इस मुद्दे पर पाकिस्तान ने एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) में शिकायत दर्ज कराई। उनका तर्क था कि भारतीय खिलाड़ियों ने खेल भावना का उल्लंघन किया।
तथ्य: ACC ने कहा कि हैंडशेक प्रोत्साहित किया जाता है, परंतु कोई अनिवार्य नियम नहीं है। कई खेल विशेषज्ञों ने इस शिकायत को राजनीति से प्रेरित बताया।
वास्तविक परिप्रेक्ष्य:
पाकिस्तान की शिकायत के बावजूद उनके खिलाड़ी सोशल मीडिया पर भारत विरोधी पोस्ट जारी रखते रहे।
उदाहरण के तौर पर, 2024 में पाकिस्तान के एक क्रिकेटर ने पुलवामा हमले के पीड़ितों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसे भारत ने कड़ा विरोध किया।
यह विरोधाभासी रवैया दर्शाता है कि पाकिस्तान खेल को राजनीतिक एजेंडा चलाने के लिए हथियार बना रहा है। भारत ने इसे मानी हुई परंपरा का उल्लंघन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान का बचाव माना।
सशक्त संदेश
सूर्या कुमार यादव ने पूरी स्पष्टता से कहा: “हम भारतीय सेना को सम्मान देते हैं और पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।” यह बयान न केवल व्यक्तिगत विचार नहीं था, बल्कि भारतीय टीम की आधिकारिक नीति का प्रतिनिधित्व करता था। इसके साथ ही, यह निर्णय देशभर में व्यापक समर्थन मिला।
तथ्य: सोशल मीडिया पर #RespectOurForces ट्रेंड भारत में वायरल हुआ। कई पूर्व क्रिकेटरों जैसे राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले ने इस फैसले को राष्ट्रीय गर्व से जुड़ा साहसिक कदम बताया।
देशभक्ति और जिम्मेदारी का संगम
भारत-पाकिस्तान मैच में हैंडशेक न करना केवल एक व्यक्तिगत फैसला नहीं था। यह एक नैतिक, सामाजिक और राजनीतिक निर्णय था।
तथ्य: ACC के कोड ऑफ क्रिकेट स्पष्ट करता है कि खेल भावना प्राथमिकता है, परंतु जब विपक्षी दल खुलेआम राष्ट्रीय सम्मान के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट करता है, तो इसका पालन कठिन हो जाता है।
भारतीय टीम ने स्पष्ट किया कि वे देश की गरिमा, शहीदों की स्मृति और सैनिकों के बलिदान को सर्वोपरि मानती है।
उदाहरण: अगर पाकिस्तान के खिलाड़ी बिना किसी पश्चाताप के भारतीय सेना पर विवादित पोस्ट डालते रहें और फिर मैदान पर एक-दूसरे का स्वागत करते, तो यह खेल भावना का उल्लंघन ही नहीं, अपमान भी होता।
इस साहसिक कदम ने पूरे विश्व को यह संदेश दिया कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि नैतिकता, संवेदनशीलता और राष्ट्रीय जिम्मेदारी का भी हिस्सा है। परंपरा तभी सार्थक बनती है, जब दोनों पक्ष निष्पक्ष भाव से उसका पालन करें।