by Manoj Dutt
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुरोध किया है कि उत्तर प्रदेश से रणजी ट्रॉफी और अन्य राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अधिक टीमों को शामिल किया जाए। इससे न केवल प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी बल्कि युवा खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी क्षमता दिखा सकेंगे।
अगर हम नजर डालें तो देखेंगे, इसी तरह, बड़ी आबादी वालेअन्य दूसरे राज्यों से 2-3 टीमों का होना भी आवश्यक है, क्योंकि ये राज्य क्रिकेट में असीम प्रतिभाओं का भंडार हैं। बिहार से झारखंड और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग होने के बाद भी नई प्रतिभाओं का उदय हुआ है।
उत्तर प्रदेश प्रीमियर T20 लीग के भव्य समापन समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पूर्व ICC अंपायर अनिल चौधरी से परिचय प्राप्त कर रहे हैं
केंद्रशासित प्रदेशों में भी सुधार की आवश्यकता है। चंडीगढ़ को हाल ही में BCCI से मान्यता मिली है। दादर और नगर हवेली, अंडमान-निकोबार और अन्य क्षेत्रों के सांसद भी अपने प्रदेशों के लिए मान्यता की मांग कर रहे हैं। यदि इन्हें स्वतंत्र टीमों के रूप में मान्यता दी जाती है, तो स्थानीय युवा खिलाड़ी राष्ट्रीय मंच पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। जनसंख्या और प्रतिभा के अनुपात को देखते हुए, बड़े और छोटे राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों की अधिक टीमों की हिस्सेदारी से भारतीय क्रिकेट में समावेशिता, प्रतिस्पर्धा और गुणवत्ता बढ़ेगी। यह नीति राष्ट्रीय स्तर पर युवा क्रिकेटरों के लिए अवसरों का विस्तार करेगी और भारत के खेल भविष्य को मजबूत बनाएगी।
भारतीय क्रिकेट में अधिक टीमों की आवश्यकता: जनसंख्या और प्रतिभा के आधार पर तर्क
भारत में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जनसंख्या अत्यधिक विविध है। आपके द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, भारत में 28 राज्य और 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं। चलिए इसे बहुत ही सटीक और चरण दर चरण तरीके से हिसाब लगाते हैं।
उपलब्ध डेटा:
- 28 राज्य की कुल जनसंख्या = 1,35,38,23,000
- 8 केंद्रशासित प्रदेश (UTs) की कुल जनसंख्या = 4,11,40,000
1️⃣ औसत जनसंख्या (Average Population):
- औसत राज्य की जनसंख्या =
1,35,38,23,000/28=4,83,51,500
- औसत केंद्रशासित प्रदेश की जनसंख्या =
4,11,40,000/8=51,42,500
2️⃣ उत्तर प्रदेश की जनसंख्या:
- उत्तर प्रदेश (UP) की जनसंख्या = 2,38,875,000
3️⃣ तुलना औसत राज्य से:
UP का जनसंख्या अनुपात औसत राज्य के मुकाबले =
2,38,875,000/4,83,51,500 =4.94
यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या औसतन लगभग 5 गुना बड़ी है।
✅ तर्क: यदि औसतन एक राज्य को 1 टीम मिलती है, तो UP को कम से कम 5 टीमों मिलनी चाहिए ताकि यह जनसंख्या के अनुरूप प्रतिनिधित्व दे।
4️⃣ केंद्रशासित प्रदेश (UTs): सबसे अधिक आबादी वाले UT – दिल्ली की जनसंख्या = 2,18,84,000
यह भी औसत राज्य से करीब आधी जनसंख्या वाली है:
2,18,84,000/4,83,51,500 = 0.45
तो UTs के लिए सामान्यतया 1 टीम मानना उचित है, लेकिन जो बड़े UT जैसे दिल्ली हैं, उन्हें भी 2 टीमें दी जानी चाहिए।
योगी आदित्यनाथ जी की बात में दम – आँकड़े और तथ्य खुद बोलते हैं
उत्तर प्रदेश और अन्य बड़े राज्यों को BCCI में अधिक टीमों का समर्थन करने का तर्क
वास्तविक जनसंख्या आंकड़ा : उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 23.89 करोड़ है, जो 56 देशों की जनसंख्या से अधिक है। इसके बावजूद, BCCI के घरेलू और राष्ट्रीय टूर्नामेंटों में उत्तर प्रदेश से केवल एक ही टीम भाग लेती है। महाराष्ट्र और गुजरात को तीन-तीन टीमें दी गई हैं – महाराष्ट्र: Mumbai, Maharashtra, Vidarbha गुजरात: Baroda, Saurashtra, Gujarat लेकिन Tamil Nadu, Karnataka, Bihar, Madhya Pradesh जैसे बड़े राज्यों को केवल एक टीम मिलना असंतुलित है। जनसंख्या के अनुसार उदाहरण:
बिहार: 12.92 करोड़ – केवल एक टीम
मध्य प्रदेश: 8.79 करोड़ – केवल एक टीम
तमिलनाडु: 7.72 करोड़ – केवल एक टीम
कर्नाटक: 6.83 करोड़- केवल एक टीम
उत्तर प्रदेश में खेलों के विकास की गति : वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण 70% पूरा हो चुका है। अयोध्या और गोरखपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम। मेरठ में खेल विश्वविद्यालय (Sports University) की स्थापना। हर गांव, ब्लॉक और जिले में खेल संरचनाएं विकसित की जा रही हैं। प्रदेश में खेलों के विकास की गति तीव्र है। लेकिन एक टीम के कारण खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मंच पर प्रतिस्पर्धा का उचित अवसर नहीं मिल पा रहा।
इतिहास का समर्थन: झारखंड और छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनने के बाद BCCI द्वारा मान्यता मिली। नए राज्यों को अलग इकाई का दर्जा मिलना precedent बन चुका है। इससे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन का अवसर मिला।
समावेशिता और निष्पक्षता : केंद्रशासित प्रदेशों को भी 1-2 टीमें मिलनी चाहिए। अन्य छोटे UTs मिलकर एक संयुक्त टीम के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकते हैं। इससे खेल को लोकतांत्रिक और समावेशी बनाया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश को जनसंख्या, खेल इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास की गति के आधार पर कम से कम 2 या 3 टीमें दी जानी चाहिए। यह कदम न केवल प्रदेश की खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मंच पर लाने का अवसर देगा, बल्कि भारतीय क्रिकेट को भी अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, समावेशी और मजबूत बनाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का अनुरोध पूरी तरह से जायज और तर्कसंगत है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, और कर्नाटक जैसे बड़े और जनसंख्या में घने राज्यों के पास विशाल खेल प्रतिभा और मजबूत खेल संरचना है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या अकेले 23.89 करोड़ है, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात को BCCI में पहले से ही तीन-तीन टीमें दी गई हैं। जनसांख्यिकी के अनुपात से तो 5 टीमें बनती हैं, लेकिन गुजरात और महाराष्ट्र के आधार पर 3 टीमें कर दी जाएं तो यह भी बेहतर होगा। ऐसे में, निष्पक्षता और खेल विकास के दृष्टिकोण से इन बड़े राज्यों को भी 2 या 3 टीमें प्रदान की जानी चाहिए। उदाहरण स्वरूप:
उत्तर प्रदेश: 3 टीमें, बिहार: 2 टीमें, मध्य प्रदेश: 2 टीमें, तमिल Nadu: 2 टीमें, कर्नाटका : 2 टीमें और
दिल्ली (यूटी) 2 टीमें
केंद्रशासित प्रदेशों के लिए टीमों का सुझाव, तर्क और अतिरिक्त प्रस्ताव
भारत में कुल 8 केंद्रशासित प्रदेश (UTs) हैं। इनकी जनसंख्या और खेल संरचना में भिन्नता होने के बावजूद, सभी में क्रिकेट प्रतिभा उपलब्ध है। विशेष रूप से, दिल्ली (2.18 करोड़) की खेल संरचना मजबूत है और इसका क्रिकेट इतिहास भी प्रभावशाली रहा है। अतः दिल्ली को 2 टीमें दी जानी चाहिए, ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और नए खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर अवसर प्राप्त कर सकें। चंडीगढ़ और पुदुचेरी को हाल ही में BCCI से मान्यता मिली है, और इन दोनों का क्रिकेट इंफ्रास्ट्रक्चर भी विकसित हो रहा है। बाकी के छोटे केंद्रशासित प्रदेश – अंडमान और निकोबार, लद्दाख, दादरा और नगर हवेली एवं दमण और दीव, लक्षद्वीप – की जनसंख्या कम है, लेकिन संयुक्त रूप से इनमें भी प्रतिभा उपलब्ध है।
➤ अतिरिक्त सुझाव:
इन केंद्रशासित प्रदेशों की टीमें सीधे मुख्य टूर्नामेंट में शामिल करने के बजाय, इनके लिए एक अलग प्लेट ग्रुप (Plate Group) में विशेष प्रतियोगिता आयोजित की जानी चाहिए, ताकि इन क्षेत्रों की प्रतिभा को खोजा जा सके और उनका समुचित विकास सुनिश्चित हो। इसके अतिरिक्त, कुछ समय बाद इन UT टीमों को North Eastern राज्यों के साथ संयुक्त रूप से Plate Group में शामिल किया जा सकता है, जिससे प्रतियोगिता में और विविधता आएगी और खिलाड़ियों को ज्यादा प्रतिस्पर्धात्मक अवसर मिलेंगे। इस तरह का कदम खेल के लोकतांत्रिकरण (democratization) और समावेशिता (inclusiveness) को बढ़ावा देगा। साथ ही, इससे भारतीय क्रिकेट का क्षेत्रीय आधार भी मजबूत होगा। इस प्रकार का सुझाव भारतीय क्रिकेट को और अधिक समावेशी, प्रतिस्पर्धात्मक तथा मजबूत बनाएगा। साथ ही, यह नीति युवाओं को राष्ट्रीय मंच पर उभरने का उचित अवसर प्रदान करेगी।
Data Researched and provided by Angel, IInd years student of BA. Economics (Honrs)
Writer of this article is Cricket Commentator, BCCI Umpire and Sports Journalist